लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..अंतिम भाग....
अपना शहर छोड़ वो तीनों दूसरे शहर आ गए.. सलोनी ने अब शादी ना करने का फैसला कर लिया और इस बच्चे को सकुशल जन्म देने के लिए शारीरिक तौर पर तैयार है गई...। उसके पेरेंट्स ने भी उसका ऐसे वक्त में साथ दिया...।
वही दूसरी ओर उन तीनों के शहर छोड़ने पर विनी ने अपना प्लान कामयाब होता देख... वो भी सलोनी से यह कहकर की वो हमेशा के लिए लंदन में शिफ्ट हो रहीं हैं... रवि के पास चलीं गई..।
एक तरफ़ रवि और विनी अपने अपने मकसद मे कामयाब होने का जश्न मना रहे थे, वही सलोनी अपने आने वाले बच्चे के सपने संजो रहीं थीं...।
दिन महिनों में बितता गए... विनी ने अपना संपर्क कम करते करते आखिर कार सलोनी और उसके पेरेंट्स से पूरी तरह से तोड़ दिया... ताकि कभी उनको रवि के बारे में पता ना चले... ये सब रवि के प्लान का ही हिस्सा था...।
लेकिन एक दिन एक छोटी सी गलती की वजह से विनी के सामने रवि का सच सामने आया..उसके मोबाइल में आया एक मैसेज जो किसी ओर लड़की का था... वो विनी के हाथ लग गया...। इस बात पर दोनों के बीच बहुत बहस हुई... रवि ने प्यार से संभालने की बहुत कोशिश की पर जब विनी नहीं समझी तो उसने विनी को सारी सच्चाई बता दी....। इस पर दोनों के बीच बात बहुत ज्यादा बढ़ गई...। बढ़ते बढ़ते बात हाथापाई तक आ गई.... और विनी ने अपना आपा खो दिया... और इसी पशोपेश में उसने रवि के पेट में छुरी घोंप दी...। कुछ मिनटों में ही रवि की मौत हो गई...। विनी... इस सदमे से संभल ही नहीं पाई... और उसने खुद ही जूर्म कुबूल कर अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया....। उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई..।
विनी और रवि को अपने अपने कर्मों की सजा मिल चुकी थीं...।
वही दूसरी ओर... वक्त पंख लगाकर उड़ता गया और सलोनी की डिलीवरी का दिन आया.... लेकिन अभी कुदरत का एक ओर फैसला लिखना बाकी था..। सलोनी का कमजोर शरीर और बहुत अधिक चिंता करना बच्चे पर नुकसानदायक साबित हुआ...। सलोनी ने एक स्पेशल चाइल्ड बच्चे को जन्म दिया...।
सलोनी और उसके पेरेंट्स पूरी तरह से टूट गए...। लेकिन माँ तो माँ होती हैं... सलोनी ने अपने बच्चे को अपनाया और अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश की उसे संभालने की...।
दिन... महिने... साल बीते... अब इस बच्चे को घर की देखभाल के अलावा स्पेशल चाइल्ड की पढ़ाई लिखाई की भी जरूरत थीं..। यहीं से कुदरत का खेल देखिए की वो उसी शहर मे आए थेे ,जहाँ रमादेवी रहतीं थीं...ओर इन बितते सालों में उस शहर में रमादेवी ने ऐसे बच्चों के लिए एक बहुत बड़ी पहचान बना ली थीं..। रमादेवी ने ऐसे बच्चों के लिए कई स्कूल भी खोल लिए थे....अलग अलग लोग ऐसे स्कूलों मे डोनेशन देते थे...। एक स्कूल तो रमादेवी खुद संभालती थीं..।
इतेफाक कहें या चमत्कार.... सलोनी भी अपने बच्चे को लेकर सुनील और सुजाता के साथ रमादेवी के शुरू किए हुवे इसी स्कूल में पहुंची...। वहाँ की प्रिसिंपल के रुप में रमादेवी को देखकर सलोनी के पैरों तले जमीन खिसक गई...। सलोनी से ज्यादा झटका तो रमादेवी को लगा... सलोनी के हाथ में एक ऐसे बच्चे को देखकर.. । कुछ पल तो दोनों एक दूसरे को देखती ही रह गई...।
फिर सलोनी दौड़ती हुई उनके सीने से जा लगी...। रमादेवी को तो मानों सारी खुशियाँ मिल गई हो...।
उन दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे... जो उनके इतने सालों की बिछड़न को साफ़ बयान कर रहे थे...।
उन दोनों से बड़ा झटका तो सुनील को लगा था...। आज अपने हाथ में सलोनी के बच्चे को देखकर और सामने रमादेवी को देखकर अनायास ही उसे आभास हुआ की शायद ये सब उसके कर्मों की वजह से ही हुआ हैं...। कुछ पल उस बच्चे को देखने के बाद वो रमादेवी के कदमों में गिर गया और उनसे माफी मांगने लगा...। रोते गिड़गिड़ाते उसने अपने सारे किए को भी बयां कर दिया...। इस पर रमादेवी ने उसे कदमों से उठाकर अपने सामने खड़ा किया और कहा :- मुझे तुझसे कोई शिकायत नहीं हैं बेटा... आज अगर तुने वो सब नहीं बोला होता तो मैं घर छोड़ कर नहीं आतीं... और घर नहीं छोड़ती तो आज इतने सारे बच्चों का प्यार नहीं मिलता.. जो होता हैं अच्छे के लिए होता हैं... बस मैं तुझसे एक सवाल पुछना चाहतीं हूँ... आखिर तु मुझे कहीं ले जाने में इतना हिचकता क्यूँ था... अचानक ऐसा क्या हुआ...!
माँ... मुझे माफ़ कर दो... मैं माफी मांगने के लायक तो नहीं हूँ.. । बाऊजी की जब मृत्यु हुई थीं... तब उन्होंने मुझसे कहा था की आप मेरी सगी माँ नहीं हैं...। हालांकि बाऊजी ने तो इसलिए कहा ताकि मैं आपका ख्याल रखूं... पर ना जाने क्यूँ , कैसे मेरे दिल में बस यहीं बात बैठ गई की कहीं आपने जानबूझकर... प्रोप्रटी के लिए... बाऊजी को..... मुझे माफ़ कर दो माँ... मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ...।
कोई बात नहीं बेटा.. मांए तो होतीं ही अपने बच्चों को माफ करने के लिए हैं...। मैं सब भूल गई हूँ... तु भी भूल जा...।
सुनील ने रमादेवी को गले से लगा लिया..। अब तक खामोश किनारे खड़ी सुजाता को रमादेवी ने कहा :- क्यूँ बहू.... तु गले नहीं लगेगी..।
सुजाता भी उनके गले से लग गई....। सभी ने एक दूसरे से अपने सारे गिले शिकवे मिटा दिए...।
सारांश :- वक्त मिले तो बैठ लिया करो अपनो के साथ... वक्त बितने पर सिर्फ पछतावा रह जाता हैं...। रिश्ते अगर सच्चे और दिल से जूड़े हो तो चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले उनके बीच कभी दूरियाँ नहीं आतीं...जैसा रमादेवी का सलोनी से था...।
Raziya bano
14-Oct-2022 08:25 PM
Bahut khub
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Seema Priyadarshini sahay
14-Oct-2022 04:23 PM
बहुत ही खूबसूरती से अंत किया आपने मैम👌👌
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shweta soni
14-Oct-2022 03:12 PM
Bahut khub 👌
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